शराब और बांझपन
क्या शराब के सेवन- बांझपन का कारण हो सकता है?
शराब का सेवन भारत मे आम बात है, और बच्चे जनमने के उम्र मे तो शराब का सेवन और ज्यादा है।
आधुनिक जीवनशैली मे तो गर्भवती माताओ द्वारा शराब का सेवन प्रचालन मे है ।
शराब के सेवन से विभिन प्रकार की समस्या हो सकती है, खास तौर से गर्भावस्था मे सेवन करने से , बच्चे का जिंदा पैदा होने की संभावना काम हो जाती है, जनम के पहले बच्चे का मृत्यु दर ज्यादा है, और एक प्रमुख बीमारी जिसे फीटल अल्कोहॉक सिन्ड्रोम कहते है , के होने की संभावना बढ़ जाती है।
फीटल अल्कोहॉक सिन्ड्रोम मे बच्चे का शारीरिक विकास काम होता है , चेहरा विकृत हो जाता है और नस मे कमजोरी और विकृति हो जाता है ।
ज्यादा मात्र मे शराब का सेवन करने से की जटिल बीमारी हो जाती है , जैसे लिवर की बीमारी, हार्ट की बीमारी, आत की बीमारी, नस और मानसिक बीमारी । गरीबी , मानसिक तनाओ & रिश्तों का टूटना तो इंसान को तोढ़ कर रख देता है।
शराब का सेवन गर्भाशय मे पल रहे बच्चे के लिये घातक है , इसके टेराटोजेनिक इफेक्ट बहुत नुकसान पहुचते है. शराब तरल पदार्थ होने के कारण आसानी से नाल के रास्ते माँ के पेट मे पल रहे बच्चे तक पहुच जाता है , बच्चेदानी का पानी जिसे ऐम्नीऑटिक फ्लूइड कहते है , मे शराब की मात्र बढ़ जाती है , जिससे बच्चे को स्वस्थ खान पान नहीं पहुच पता है , शराब के कारण बच्चे मे एंटी ऑक्सीडेंट काम हो जाता है , फ्री रैडिकल की मात्रा बढ़ जाही है , जिससे बच्चे का मस्तिसक धीरे धीरे गलने लगता है ।
महिला मे शराब के कारण, मादा के अंडे काम बनते है , जिसके कारण उनकी गर्भवती बनने की संभावना काम हो जाती है, जो महिला शराब का सेवन करती है , उनके खून जांच मे पाया गया है की महिला हॉर्मोन जैसे ए म् अछ और फ़ स् अछ की मात्र काम पाई जाती है , ये हॉर्मोन बताते है की महिला की माँ बनने की संभावना कितनी है ।
पुरूष मे शराब का ज्यादा इस्तेमाल के कारण पुरूष शुक्राणु काम हो जाता है, पुरूष के शरीर मे उपलब्ध हॉर्मोन जैसे टेरटोस्टेरोने की कमी होने लगता है , जिससे पोथी की गुणवक्ता काम होने लगती है।
शराब के कारण लिवर मे भी खराबी हो जाती है, जिससे हॉर्मोन का मटैबलिज़म काम हो जाता है , यह भी एक कारण है शुक्राणु काम होने का । बहुत सारे मर्दों मे तो शुक्राणु बिल्कुल ही खतम हो जाते है ।
आईवीएफ़ के इलाज के समय तो सामान्य मात्र मे भी शराब का प्रोयोग , इलाज के सफल परिणाम को काम कर देता है । आईवीएफ़ का इजक कर रही महिला , जो शराब का सेवन करती है, उन्मे अंडे निकालने की विधि मे 13 % काम अंडे निकाल पते है , और गर्भवली होनी की संभावना 3 गुण काम हो जाती है ।
जींद बच्चे को जामन देने के दर मे काफी काम या जाती है अगर की महिला हफ्ते मे 2-3 बार से ज्यादा बार शराब का सेवन करती है। इसका मुख्य कारण निषेचन की प्रक्रिया यानि पुरूष के शुक्राणु और महिला के अंडे के मिलाप मे बनने वाले नन्हे शिशु के न बनने की मात्र मे कमी आना है ।
इस कारण जबकि सामान्य इंसान मे हफ्ते मे 2-3 बार काम मात्र मे शराब का सेवन के कुछ फायदा होता है, पर आईवीएफ़ के मरीज मे कुछ भी शराब का सेवन से आईवीएफ़ की सफलता मे कमी आ जाती है ।
Alcohol & Infertility
Alcohol consumption is common in India. Also a large proportion of the drinking population is of child bearing age. Alcohol use has been linked to a number of reproductive diseases, including the possibility of having a child with Fetal Alcohol Spectrum Disorder (a condition characterized by facial dysmorphia, growth deficits, and central nervous system abnormalities), an increased risk of fetal loss, and a lower likelihood of live birth.
Excessive alcohol consumption can cause a variety of chronic diseases, including hypertension, heart disease, liver disease, gastrointestinal bleeding, cancer (breast, mouth, throat, esophagus, liver, and colon), dementia and other cognitive deficits, anxiety/depression, and social and economic losses such as relationship damage and job loss.
In contrast, moderate alcohol consumption, defined as up to one drink per day for women and two drinks per day for males, may provide some health benefits. But it is quite difficult to resist the temptation to drink more.
The teratogenic effects of alcohol use during pregnancy is well documented. Alcohol can easily be transported through the placenta to the amniotic fluid and fetus. Because alcohol and its metabolites gradually increase in concentration in the amniotic fluid, the fetus is more exposed to more alcohol than the mother, resulting in reduced fetal metabolic enzyme activity. Teratogenicity is be caused by a diminished ability to neutralize oxidizing agents, increase in amounts of free radicals, and reactive oxygen species, which contribute to increased apoptosis in fetal central nervous system tissue.
Fetal Alcohol Spectrum Disorders include fetal alcohol syndrome and birth defects caused by prenatal alcohol exposure. Fetal Alcohol Spectrum Disorder is a group of illnesses characterized by behavioral and cognitive deficits, deformities in the skull and face, and delayed childhood development. Although several studies have shown that the severity of impairments or malformations worsens as the dosage and period of exposure rise, there is presently no safe dose or duration of exposure during pregnancy.
Excessive alcohol use in women can have a negative impact on ovarian reserve and fertility. Ovarian reserve is a woman's reproductive capacity as assessed by the amount of oocytes she has remaining. This reserve can be measured using several investigation , including serum follicle stimulating hormone (FSH) and anti-Müllerian hormone (AMH) levels, and also the number of antral follicles.
Alcohol consumption in men also can lead to impaired fertility. Prolonged and excessive alcohol consumption has shown to reduced gonadotropin secretion, shrinking of the testicles, and lower levels of testosterone and sperm production.
Furthermore, drinking is associated with liver damage, which can result in hormonal abnormalities caused by an inability to metabolize estrogens. Excessive alcohol leads in reducuction in the quality of semen parameters leading to intermittent azoospermotheremia.
Empirical findings strongly suggest that even moderate alcohol use has a negative impact on the outcomes of assisted reproductive technology (ART).
Women who underwent in vitro fertilization (IVF) had a 13% decrease in the number of oocytes obtained and 3 times increased likelihood of not achieving pregnancy and 2 times increased risk of miscarriage.
Women who consumed four or more alcoholic beverages per week had a lower risk of having a live birth. The results were usually interpreted as indicating inadequacies in the fertilization process. As a result, given that even moderate alcohol intake may affect the success of in vitro fertilisation (IVF) by lowering oocyte production and live birth rates, it is recommended that alcohol consumption be reduced prior to beginning IVF treatment.