What is the full form of IVF in Hindi ?
आईवीएफ का अर्थ (IVF Meaning in hindi) - आईवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, इसे आम बोलचाल में टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहते हैं। ये प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में विफल दम्पतियों के लिए गर्भधारण का सफल माध्यम बन सकता है।
आइवीअफ कराने मे कितना खर्चा होता है ?
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आईवीएफ़ एक सफल पद्धति है , निःसंतान दम्पत्ति जो संतान सुख से वंचित है उनके लिये यह एक उम्मीद की किरण है। आधुनिक तकनीक होने के कारण इस इलाज मे खर्च ज्यादा होता है । भारत मे यह खर्च ₹1,50,000 से ₹3,00,000 तक आता है । खर्च मे अंतर विभन्न कारण से होता है, कुछ प्रमुख कारण है – कितने बार यह परिकरिया करना है , अलग से कुछ और प्रक्रिया करना हो, जैसे जनेटिक टेस्ट, किस जगह आईवीएफ़ सेंटर स्थित है,वह पे रहने का खर्च क्या है, डोनर के अंडे या किटाणु की जरूरत पड़ना, कितने एम्ब्रीओ को फ्रीज़ करना है और कितने साल के लिये, इत्यादि।
किस किस हिस्सों मे खर्च को बांटा जा सकता है?
निमलिखित प्रक्रिया मे खर्च को बांटा जा सकता है -
1.डॉक्टर से परामर्श का खर्च
2. दवाएओ का खर्च – कुछ महंगी सुई जो अंडा को बनाने मे मदत करती है और गर्भासए को तयार करने मे मदद करती है.
3. विभिन जांच का खर्च – जैसे अल्ट्रसाउन्ड , खून जांच, स्पर्म का जांच इत्यादि।
4. आँड़े की प्राप्ति – अल्ट्रसाउन्ड की मदद से अंडसे से अंडे को निकालना, इसमे मे परिकरिया के अलावा बेहोसी का खर्चा, डॉक्टर की फी, अस्पताल का फी इत्यादि ।
5. परूस के किटाणु को तयार करना, किटाणु काम होने पर सुई दे अंडसे से किटाणु को निकालना, या किटाणु को फ्रीज़ करना, भविसय मे इस्तेमाल करने के लिये।
6. भ्रूण का जन्म होना और उसका विकास होने की प्रक्रिया जटिल होती है, इसमे इस्तेमाल होने वाले यंत्र महंगे होते है, और इस प्रक्रिया को करने वाले एमबरीऑलोगीस्ट का फी भी होता है।
7. भ्रूण का टेस्ट ट्यूब मे जन्म होने के बाद, उसका माँ के गर्भ मे प्रत्यारोपण मे आने वाला खर्च। इसमे डॉक्टर का फी, बेहोसी का खर्च, सल्या चिकितया का खर्च।
9. बचे हुए भ्रूण के भविसया मे इस्तेमाल करने के लिये उसके फ्रीज़ करना का खर्च ।
श्रद्धा आईवीएफ़ मे आईवीएफ़ करने का खर्च इतना कम कैसे है ?
श्रद्धा आईवीएफ़ मे हम प्रतिबद्ध है निःसंतान दम्पत्ति को मदत करने के लिये, और हम नहीं चाहते की खर्च के कारण कोई दंपति आईवीएफ़ नहीं कर सके । हमारी कोशिश है की उचित खर्च मे विश्वस्तरीय पद्धति द्वारा आईवीएफ़ का इलाज हर दम्पत्ति तक पहुचाया जाए ।
खर्च काम करने के लिये हम लोग सीधे फार्मसूटिकल कंपनी जो सुई बनाती है उनसे थोक मूल्य मे सुई उपलब्ध करते है , और इसी कारण से लागत काम हो जाता है और फिर ये फैदा हम मरीज तक पहुचते है जिससे खर्च काम हो जाता है ।