शुक्राणु में असमानतायें

shradhaivf IVF & Maternity
Jan 25, 2025By shradhaivf IVF & Maternity

शुक्राणु में किस प्रकार की असमानतायें हो सकती है

शुक्राणु (Sperm) में असमानताएं या असामान्यताएं (Sperm Abnormalities) के विभिन्न प्रकार हो सकते हैं, जो पुरुष की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। ये असमानताएं शुक्राणुओं की संरचना, संख्या, गतिशीलता और कार्य में हो सकती हैं। नीचे शुक्राणु में होने वाली मुख्य असमानताओं का विवरण दिया गया है:

1. संख्या में असमानता (Abnormal Sperm Count)

(i) ओलिगोज़ूस्पर्मिया (Oligospermia):

  • यह स्थिति तब होती है जब शुक्राणुओं की संख्या सामान्य से कम होती है।
  • सामान्य शुक्राणु संख्या प्रति मिलिलीटर वीर्य में 15 मिलियन या उससे अधिक होनी चाहिए।

(ii) एज़ूस्पर्मिया (Azoospermia):

  • वीर्य में शुक्राणुओं की पूर्ण अनुपस्थिति।
  • यह अवरोध (Obstructive) या उत्पादन की समस्या (Non-Obstructive) के कारण हो          सकता है।
    (iii) पॉलीज़ूस्पर्मिया (Polyzoospermia):
  • शुक्राणुओं की अत्यधिक संख्या, लेकिन यह स्थिति भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर                सकती है, क्योंकि अत्यधिक संख्या वीर्य की गुणवत्ता को कमजोर कर सकती है।

2. गतिशीलता में असमानता (Abnormal Sperm       Motility)

(i) एस्थेनोज़ूस्पर्मिया (Asthenozoospermia):

  • शुक्राणुओं की गति धीमी होती है या वे अक्षम होते हैं।
  • गतिशील शुक्राणु अंडाणु तक पहुंचने और उसे निषेचित करने के लिए आवश्यक हैं।

(ii) नॉन-मोटाइल शुक्राणु:

  • शुक्राणु पूरी तरह से गतिहीन होते हैं, जो प्रजनन को असंभव बना सकते हैं।

3. आकार में असमानता (Abnormal Sperm Morphology)

(i) टेराटोज़ूस्पर्मिया (Teratozoospermia):

  • शुक्राणु का असामान्य आकार (जैसे, सिर, गर्दन या पूंछ में विकृति)।
     उदाहरण:
  • सिर का आकार बहुत बड़ा या छोटा होना।
  • पूंछ का दोहरीकरण या अनुपस्थिति।
  • यह अंडाणु को निषेचित करने की क्षमता को प्रभावित करता है।

    4. डीएनए क्षति (DNA Fragmentation)

  • शुक्राणु के अंदर डीएनए में टूट-फूट।
  • यह गर्भधारण में समस्या पैदा कर सकता है या गर्भपात की संभावना बढ़ा सकता है।

    5. शुक्राणु उत्पादन में असमानता (Sperm                     Production Disorders

    (i) हाइपोस्पर्मिया (Hypospermia):
  • वीर्य का उत्पादन सामान्य से कम।

(ii) नेक्रोज़ूस्पर्मिया (Necrozoospermia):

  • यह स्थिति तब होती है जब शुक्राणुओं की संख्या, गतिशीलता और आकार तीनों असामान्य         होते हैं।

6. हॉर्मोनल समस्याएं (Hormonal Abnormalities)

  • हॉर्मोन जैसे टेस्टोस्टेरोन, एफएसएच (FSH), और एलएच (LH) में असंतुलन शुक्राणु                 उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।

7. इम्यूनोलॉजिकल समस्याएं (Immunological Factors)

  • कभी-कभी पुरुष की इम्यून सिस्टम शुक्राणुओं को दुश्मन के रूप में पहचान लेता है और         उनके खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है, जिससे शुक्राणु निष्क्रिय हो जाते हैं।

शुक्राणु असमानताओं के कारण:

  1. जीवनशैली कारक: धूम्रपान, शराब, अत्यधिक कैफीन, तनाव।
  2. पर्यावरणीय कारक: प्रदूषण, रेडिएशन, कीटनाशक।
  3. बीमारी: डायबिटीज, मोटापा, हार्मोनल विकार।
  4. अनुवांशिक विकार: क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम, वाई-क्रोमोज़ोम में डिलीशन।
  5. संक्रमण: मम्प्स, टीबी, या यौन संचारित रोग।
  6. दवाएं और रसायन: कीमोथेरेपी, स्टेरॉयड।

     जांच और उपचार:

    जांच:
  • सीमेन एनालिसिस (Semen Analysis)।
  • हार्मोनल जांच।
  • जेनेटिक टेस्ट।

    उपचार:

  • दवाओं से उपचार।
  • जीवनशैली में बदलाव।
  • आईयूआई (IUI), आईवीएफ (IVF) जैसी सहायक प्रजनन तकनीक।
  • टेस्टिकुलर स्पर्म एक्सट्रैक्शन (TESE)।

अगर शुक्राणु असमानता के लक्षण या चिंताएं हैं, तो विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श करें। सही समय पर उपचार से समस्या का समाधान संभव है।