What is Bulky Uterus?

shradhaivf IVF & Maternity
Jan 25, 2025By shradhaivf IVF & Maternity

बुल्की यूटेरस (Bulky Uterus):


बुल्की यूटेरस का मतलब है कि गर्भाशय (Uterus) का आकार सामान्य से बड़ा हो जाना। यह कोई रोग नहीं है, बल्कि किसी अन्य स्वास्थ्य समस्या का लक्षण हो सकता है। महिलाओं में यह समस्या अक्सर हार्मोनल असंतुलन, संक्रमण, या प्रजनन अंगों की किसी बीमारी के कारण होती है।

गर्भाशय का सामान्य आकार क्या होता है?

    • एक स्वस्थ महिला का गर्भाशय आकार में आमतौर पर 7.5 सेमी लंबा, 5 सेमी चौड़ा             और 2.5 सेमी मोटा होता है।
    • गर्भाशय का वजन लगभग 50-70 ग्राम होता है।
    • यदि इसका आकार या वजन इससे अधिक हो जाए, तो इसे बुल्की यूटेरस कहा जा               सकता है।

 बुल्की यूटेरस के कारण

       1. फाइब्रॉइड (Fibroids):

      • गर्भाशय में मांसपेशियों की गांठें (Non-cancerous tumors) बनना।
      • ये गांठें गर्भाशय के आकार को बड़ा कर सकती हैं।

      2. एडिनोमायोसिस (Adenomyosis):

      • इसमें गर्भाशय की आंतरिक परत (Endometrium) मांसपेशियों की परत में                 बढ़ने लगती है।
      • इससे गर्भाशय सूज जाता है।

      3. पीरियड्स से जुड़ी समस्याएं:

      • बार-बार भारी रक्तस्राव (Heavy Bleeding) या अनियमित मासिक धर्म के                कारण गर्भाशय का आकार बढ़ सकता है।

       4. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS):

      • हार्मोनल असंतुलन से गर्भाशय पर प्रभाव पड़ता है।

       5. गर्भावस्था के बाद के बदलाव:

      • डिलीवरी के बाद गर्भाशय कभी-कभी पूरी तरह से सामान्य आकार में वापस                 नहीं आ पाता।

       6. हार्मोनल असंतुलन:

      • एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन की अधिकता से गर्भाशय का आकार बढ़             सकता है।       

       7. एंडोमेट्रियल हाइपरप्लेसिया (Endometrial Hyperplasia):

      • गर्भाशय की आंतरिक परत का असामान्य रूप से मोटा होना।

      8. संक्रमण (Infections):

    • गर्भाशय में संक्रमण (Pelvic Inflammatory Disease) सूजन और आकार में             वृद्धि का कारण बन सकता है।

     9. गर्भाशय या डिम्बग्रंथि का ट्यूमर:

    • कैंसरयुक्त या गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर भी इसका कारण हो सकते हैं। 

बुल्की यूटेरस के लक्षण

   1. मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं:

    • भारी रक्तस्राव (Heavy Bleeding)
    • मासिक धर्म में असामान्य दर्द (Dysmenorrhea)
    • पीरियड्स के दौरान अधिक दिनों तक खून आना।

   2. पेट और कमर में दर्द:

    • निचले पेट में भारीपन और खिंचाव महसूस होना।
    • पीठ के निचले हिस्से में दर्द।

   3. गर्भधारण में कठिनाई:

    • बांझपन (Infertility) या बार-बार गर्भपात।

   4. मूत्र संबंधी समस्याएं:

    • बार-बार पेशाब आना।
    • मूत्राशय पर दबाव महसूस होना।

 5. पेट का फूला हुआ लगना:

    • निचले पेट में सूजन महसूस होना।

6. थकान और कमजोरी:

    • अत्यधिक रक्तस्राव के कारण एनीमिया और थकान।

निदान (Diagnosis)

1. शारीरिक परीक्षण:

    • डॉक्टर पेट और पेल्विक एरिया की जांच करते हैं।

2. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound):

    • गर्भाशय की संरचना और आकार की जानकारी देता है।

3. एमआरआई (MRI):

    • एडिनोमायोसिस और फाइब्रॉइड्स की सटीक जानकारी के लिए।

4. ब्लड टेस्ट:

    • हार्मोनल असंतुलन की जांच के लिए।

5. एंडोमेट्रियल बायोप्सी:

    • गर्भाशय की आंतरिक परत की स्थिति की जांच के लिए। 

उपचार (Treatment)

1. दवाइयों से इलाज:

  • हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित करने के लिए हार्मोनल थेरेपी।
  • दर्द और सूजन के लिए एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं।

2. सर्जिकल इलाज:

  • फाइब्रॉइड्स के लिए मायोमेक्टॉमी (Myomectomy): फाइब्रॉइड को हटाने की सर्जरी।
  • एडिनोमायोसिस के लिए हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy): गंभीर मामलों में गर्भाशय को           हटाया जाता है।

3. गर्भावस्था की योजना:

  • यदि महिला गर्भधारण करना चाहती है, तो डॉक्टर इसके अनुसार उपचार योजना बनाते हैं।

4. जीवनशैली में सुधार:

  • संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से हार्मोनल संतुलन बनाए रखा जा सकता है।

बुल्की यूटेरस के लिए घरेलू उपचार और सुझाव

1. संतुलित आहार:

  • आयरन युक्त आहार (हरी पत्तेदार सब्जियां, अनार, बीन्स) लें।
  • कैफीन और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें।

2. योग और प्राणायाम:

  • तनाव कम करने और हार्मोनल संतुलन के लिए योगासन करें।

3. हाइड्रेटेड रहें:

  • दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।

4. वजन को नियंत्रित रखें:

  • मोटापा भी हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है।

निष्कर्ष

बुल्की यूटेरस एक सामान्य समस्या है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। समय पर निदान और सही उपचार से इसे आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है। यदि आपको ऊपर दिए गए लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। नियमित स्वास्थ्य जांच और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से इस समस्या से बचाव किया जा सकता है।